अध्याय 7: ज्ञानविज्ञान योग

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता अध्याय सात

ज्ञानविज्ञान योग  ज्ञान और भगवान का सर्वव्यापी रूप श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु …

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अध्याय 6: आत्मसंयम योग

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता अध्याय छठा

आत्मसंयम योग मन, इंद्रियों, और शरीर के नियंत्रण का महत्व श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी …

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अध्याय 5: कर्मसंन्यास योग

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता अध्याय पाँच

कर्मसंन्यास योग कर्मों के परिणामों से आसक्ति से विमुक्ति का मार्ग अर्जुन उवाच सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । …

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अध्याय 4: ज्ञानकर्मसंन्यास योग

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता अध्याय चार

ज्ञानकर्मसंन्यास योग जिसमें ज्ञान और कर्म के संबंध का महत्व श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् …

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अध्याय 3: कर्मयोग

सम्पूर्ण श्रीमद्‍भगवद्‍गीता तृतीय अध्याय

अध्याय 3: कर्मयोग | Karma Yoga श्रीमद भागवत गीता का तीसरे अध्याय कर्मयोग कहा जाता हे। इस अध्याय मे ज्ञानयोग …

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अध्याय 1: अर्जुनविषाद योग

अध्याय 1: अर्जुनविषाद योग | Arjun Vishada Yoga - गीता

अर्जुनविषाद योग अर्जुन की दुविधा और विषाद का वर्णन धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय …

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